काली रात में काले कारनामे

4 जून की काली रात के बाद  दिल्ली से लौटने के बाद बहुत कुछ पढ़ा लेकिन लिखा  कुछ नहीं |  बहुत दु खी था इस कारण कलम  लिखने को बेताब थी परंतु हिमत नहीं हो पा रही थी | आज कुछ हिमत बंधी है |                                                        परम पूजनीय योग ऋषि स्वामी रामदेवजी महाराज के नेतृत्व व देश की जनता के सहयोग से दिल्ली के रामलीला मैदान मे चल रहे शांति पूर्ण आंदोलन को कुचलने का कुकृत्य जो केंद्र सरकार ने किया वो बहुत ही निंदनीय है |घटना पर बहुत से बुद्धिजीवियों ने लिखा है |अब तक आप बहुत कुछ पढ़ चुके होंगे | लेकिन मैं जो कुछ लिखने जा रहा हूँ |वो शायद  आपने नहीं पढ़ा है| इस कृत्य को देखकर एक बात तो सौ प्रतिशत साफ है कि आज भी हमारे देश मे ब्रिटिश शासन चलता है ।फर्क सिर्फ इतना है कि पहले गोरे अंग्रेज़ शासन करते थे आज हमारे ही देश मे जन्मे काले अंग्रेज़ शासन करते है |जो जन्म से भारतीय हैं ,परंतु आत्मा से अंग्रेज़ हैं ,जिनके मन भारतीय जनता के प्रति  क्रूरता है |  इसके साथ साथ ये घटना कई सवाल पैदा करती है कि जो लोग वोट मागने भिखारियों कि तरह चले आते हैं और जनता के हर दुख  दर्द मे साथ देने कि बात करते ,आज वो कहाँ छिपे हुये हैं ? एक संत ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई तो इस सोनिया कि सरकार के पेट मे दर्द क्यों उठा ? क्यों सोती हुई जनता पर हमला किया ?सोती हुई जनता हमला करना केंद्र सरकार व सोनिया की कायरता की निशानी है |जब वो टीवी पर आती हैं तो बड़ी बड़ी बातें करतीं हैं कि हम गरीब जनता का ध्यान रखते हैं |हम विकास कर रहें | मैं पूछना चाहता हूँ कि काले धन को लाने कि बात एक संत रामदेवजी  ने उठाई तो आपको दर्द क्यों हुआ ?  इसका सीधा सा उतर यही है तुम खुद चौर हो मैडम | 

इसके अलावा दूसरी बात यह है कि आज जब जनता एक है संत समाज एक , वो सभी सत्य को स्थापित करने का संघर्ष कर रहे हैं तब  देश सेवा करने वाले  वो लोग खुलकर सामने क्यों नहीं आ रहे है?    मैंने  बहुत से अभिनेताओं के इंटरव्यू सुने हैं ॥वो बहुत बार कहते है कि हम देश सेवा करते है ,देश ही हमारे लिय सब कुछ हैं ? अगर इनके लिय देश ही सब कुछ होता तो आज ये सामने क्यों नहीं आ रहे हैं ? क्यों सलमान खान व शाहरुख खान उल्टा बयान दे रहे हैं ?  इसके साथ साथ बहुत बार क्रिकेटरों को भी देश कि बड़ी बड़ी बाते करते सुनते हैं |लेकिन एक भी क्रिकेटर ने सरकार का इस घटना पर विरोध नहीं किया ? इससे साफ जाहीर होता है कि उनको सिर्फ पैसे से मतलब है |जबकि जनता उनके पीछे पागल हुई रहती है |अगर वो राष्ट्र धर्म निभाते तो आज इस दुख कि घड़ी मे संत समाज व जनता का साथ बे झिझक देते |  मुझे पता है मैंने बहुत कुछ कह दिया ॥और किसी को ये बुरा भी लग सकता है | परंतु मैं आज सभी को कह रहा हूँ कि आज तो इन काले लोगे ने रामलीला मैदान मे हमारी आवाज को दबाया है ....और यही हालत रहे तो वो समय भी जल्द ही आने वाला है जब ये ब्रिटिश शासन कि तरह ये हमारे घरो मे आकार हमको मारेंगे |अत :आओ सब मिलकर इनका खुलकर विरोध करो | खुलकर विरोध इन क्रिकेटरों व अभिनेताओं का भी करो क्योंकि इनको भी घमंड बहुत हो चुका  है ,ये संतों का अपमान कर रहे हैं |देश की जनता की कमाई के पैसों से इनके खेल का बजट बनता है |अगर आज हम सभी नहीं जागेंगे तो बहुत देर हो जाएगी और इसका परिणाम हम सभी को ही भुगतना पड़ेगा | ये आंदोलन एक अकेले स्वामी रामदेवजी का नहीं बल्कि समस्त भारतीयो का है |    मैं मानता हूँ कि आपके सामने बहुत सी मुसीबते आएंगी लेकिन घबराना नहीं क्योकि ये कम मुश्किल जरूर है ॥लेकिन नामुकिन नहीं है | आपको यदि निराशा घेरने लगे तो एक बार  भगत सिंह कि जवानी को याद कर लेना कि यदि वो यदि शादी करने व नौकरी करने तक अपनी ज़िंदगी सीमित रखता तो क्या उसको आप जानते ? उसके मन मे मातृभूमि के प्रति एक जज्बा था | मैं आपको नौकरी के लिय व शादी के लिय माना नहीं कर रहा हूँ परंतु इतना जरूर कह रहा कि आप जिस तरह से पारिवारिक जिमेदारी निभाते हैं ,उसी प्रकार से आप देश कि जिमेदारी भी निभाए |  मन मे एक ही बात याद रखना कि रामलीला मैदान कि इस घटना का जबाब हमें जल्द  ही देना है चाहे इसके लिय हमें जान ही क्यों न गवानी पड़े |                                                                  याद रखना कि समय  कि धारा  वापस लौट कर नहीं आती है |

Comments

  1. धूर्त अभिनेताओं, क्रिकेटरों का साथ तो मैंने बहुत पहले ही छोड़ दिया है.
    राष्ट्रहित में जिससे जो भी बन पड़े उन्हें जरुर करना चाहिए. अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझता हूँ अत: कुछ आवश्यक कार्यों में अंशदान करता हूँ.
    परन्तु ये भी सत्य है आप हर किसी से उम्मीद नहीं कर सकते ये तो व्यक्ति विशेष की प्रकृति पर निर्भर है उसे किस कार्य में अधिक आनंद आता है.
    फिर भी यदि हमारी शिक्षा व्यवस्था सही होती, राष्ट्र समाज निर्माण के प्रति जवाबदेही और कानूनों का सख्ती से पालन करने के संस्कार मिले होते तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता.

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  2. राम लीला मैदान में जो हुआ वो लोकतंत्र पर हमला है |

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