आखिर कब तक ......?

आज सुबह अखबार पढ़ा पढते एक सवाल मन में आया कि आखिर इस देश में हो क्या गया है ?...चारों और अपराध ही अपराध ...
कहीं संतों पर हमला हो रहा है तो कही माँ , बहन बेटियों की इज्जत पर हमला ...रोज ऐसी खबरे पढ़ने और देखने को मिल जातीं हैं | ये खबरे गम्भीर सवाल छोड़ के जाती हैं |वो कि
आखिर कब तक ऐसा चलेगा ? राजस्थान के राजसमन्द जिले के संत जगदीश गोपाल जी महाराज जो कि पथमेड़ा गो धाम के महा मंत्री हैं | कल उन पर गो तस्करों ने हमला कर दिया|
हमारी सनातन संकृति का आधार गाय को तस्करों से मुक्त करवाने के लिय वो गए थे ...तो उन पर हमला कर दिया |हिंदुस्तानियों हालात ये हो चुके हैं कि आज तुम भी सुरक्षित नहीं हो
लोकतंत्र के नाम पर लुट तंत्र है ..जब कोई व्यक्ति अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसको कुचल दिया जाता है |और इन चीजों से सब वाकिफ भी हैं फिर भी सब मौन क्यों हैं ?
क्या करना चाहिय और क्या नहीं ..इसके उपर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूँगा ..लेकिन कुछ सवाल मेरे दिल को पीड़ित कर रहे हैं ...उनको जरूर रखना चाहूँगा ...आखिर कब तक ऐसा चलेगा
कि ये सफ़ेद पोशाक के लोग आपनी काली करतूतों के की कालिख को छिपाकर हमारे सामने वोटो कि भीख मांगकर हम सब को इस व्यवस्था का गुलाम बनाये रखेंगे ?.....क्यों भारत वासी
के भीतर वो जज्बा नहीं कि वो इन लोगो से पूछ सके कि क्यों तुम बूचड़ खाने खोलकर भारतीय संकृति व् मानव समाज को गन्दा कर रहे हो ?........सब मिलकर इनको चौराहों पर खींचो
और पूछ डालो हर गलती का जबाब ..अगर नहीं दे ..तो वो ही  हश्र इनके साथ करना है ..जो इन्होंने आजादी इन 63 सालों में हर हिन्दुस्तानी के साथ किया है .....
मुझे मालुम है कि मेरी लेखनी में क्रोध कि ज्वाला जरूर है .और ये कुछ लोगो को पसंद भी नहीं आएगी .....लेकिन इतना याद दिलाना चाहूँगा यदि हमारी माँ पर आत्याचार हो रहा हो
और उसका का बेटा चुप कैसे बैठ सकता है .? और यदि वो मौन है तो वो बेटा कहलाने के लायक नहीं है | जहाँ कही भी शीर्ष सताओ के लोग दिखे तो ..उनसे प्रश्न करना मत भूलना |
क्योकि हमने इनको जो मौका दिया वो हमारी सेवा के लिय दिया था न कि हमे लूटने के लिय .......एक बात और जहन में आ रही है कि आज जो अव्यवस्था हो रही है उसके जिमेद्दार
सिर्फ और सिर्फ ये सताओं के लोग हैं ...आम हिन्दुस्तानी को तो मजबूर किया जा रहा है ...............चंद गंदे लोगो कि वजह से पूरा हिंदुस्तान गन्दा क्यों ?
                               हर धर्म में नेकी है, हर धर्म में धंधे होते हैं ,
                               मेरे से पूछो तो जनाब कुछ लोग ही गंदे होते हैं |
                हर देश कि धरती प्यारी है , हर देश कि शोभा न्यारी है |
                     हर देश में आसमां नीला है, हर देश के इंसान का आंसू गीला है ||

Comments

  1. मुझे मालुम है कि मेरी लेखनी में क्रोध कि ज्वाला जरूर है .और ये कुछ लोगो को पसंद भी नहीं आएगी .....लेकिन इतना याद दिलाना चाहूँगा यदि हमारी माँ पर आत्याचार हो रहा हो और उसका का बेटा चुप कैसे बैठ सकता है .? और यदि वो मौन है तो वो बेटा कहलाने के लायक नहीं है | जहाँ कही भी शीर्ष सताओ के लोग दिखे तो ..उनसे प्रश्न करना मत भूलना |

    बिलकुल सत्य कहा आप ने हमें आपसू मतभेद भुला कर इस व्यवस्था को बदलने में अपनी उर्जा का उपयोग करना चाहिए..
    कुछ श्वान हर युग में हुए हैं वो भोकना जारी रखेंगे ..हमें कर्तव्य पथ पर बढ़ना है आगे

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  2. तरुण भाई आपका क्रोध उचित ही है...ऐसे समय में क्रोध न आए तो क्या होगा?
    मैं भी इस समय क्रोध से भरा बैठा हूँ...दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसके बाद भी जब जगह शान्ति है, क्यों?

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  3. @आशुतोष जी को प्रणाम , @ दिवस भाई को भी मेरा सादर प्रणाम, तरुण भाई आपकी लेखनी में क्रोध की ज्वाला तो है परन्तु आप नहीं जानते की यही वो ज्वाला है जो एक दिन इंसाफी की मशाल बन कर इस देश के हर नागरिक को भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव बना सकती है, इसीलिए मेरा आपको सादर सुझाव है की इस तरह की ज्वाला को जलाते रहीऐ कहीं ना कहीं ये तूल जरूर पकडेगी और हमे कई भगत सिंह मिलेंगे......

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  4. भाई तरुण भारतीय जी को गौरव शर्मा "भारतीय" की ओर से हार्दिक बधाई एवं आभार इस शानदार पोस्ट के लिए.......यह क्रोध की ज्वाला केवल भाई तरुण जी की ही नहीं वरन यह प्रत्येक भारतीय के दिल की आवाज़ है, वाकई आज आवश्यकता है हमें एकता के सूत्र में बंधकर तथाकथित राजनेताओं को सबक सिखाने की, केवल भारतीयता के सूत्र में बंधकर माँ भारती के अस्मिता की रक्षा करने की और हमें ख़ुशी है की इस कार्य में "अभियान भारतीय" प्राणपण से संलग्न है |

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  5. हालात सच में अफसोसजनक हैं...

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  6. सुबह जरूर आयेगी दिये को जलाए रखिये |

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