हर दिन गोपाष्टमी हो

कल गोपाष्टमी का पर्व था  देश के लोग  अपनी गोमाता की पूजा कर रहे थे |मैं भी सुबह सुबह ये देख के सोच रहा था की कल तक जिस गोमाता की तरफ नहीं देखने वाले लोगो में आज इतना प्यार ,सेवा और समर्पण का भाव कहाँ से आगया | फिर थोडा आगे बढा तो पता चला की आज गोपाष्टमी का पर्व है और मान्यता के अनुसार सभी भारतीय सनातन संस्कृति की संपोषक गोमाता की सेवा व् पूजा करते हैं |..इस विषय में ज्यादा जाने की इच्छा हुई | तो मैं कुछ दूरी पर हमारे गावं के एक बुजुर्ग दादाजी के पास गया | और उनसे पूछने लगा ..... दादाजी आज गावं में कुछ बदला बदला सा लग रहा सभी गायों की पूजा कर रहे हैं | गुड़ खिला रहे हैं | माजरा क्या है ?...दादाजी बोले बेटा .....नहीं जानो तो ही अच्छा है .| मैंने कहा एसी भी क्या बात है ..नहीं बेटा तुम्हे दुःख होगा यर जानकर की आजकल दिखावा ज्यादा होता है ..और  आगे बढ़ गया | रास्ते में मैंने विचार किया तो कई ऐसे तथ्य सामने आये जो यह साबित कर रहे थे कि बहुत से लोगो ने इस गोपाष्टमी के पर्व पर भी गाय माता कि सेवा के नाम पर दिखवा ही किया है | ऐसे बहुत से लोग देखे हैं जो पुरे साल भर गोमाता कि तरफ देखते भी एसी बुरी नजरो से हैं जैसे वो उनको काट डालेगी और एक दिन वो पाव गुड़ खिलाकर गोभक्त बन जाते हैं ...जब भी कहीं गोसम्मेलन या कोई गो कथा होती है तो उनको फ़ालतू कहकर मजाक उड़ाते हैं ..और गोपाष्टमी के दिन गाय माता के साथ फोटो खीचकर गोभक्त कहलाते हैं |.....खैर जो भी है लेकिन मेरा तो जहाँ तक मानना है साल का ये दिन दो उस परम्परा को जीवित रखने और एक प्रतीक के रूप में हैं | अगर सही मायने में गो सेवा करनी है तो गो कि महिमा को जीवन का हिस्सा बनाना पड़ेगा |तभी यह संभव हो पायेगा | बहुत से लोगों का एक ही कहना होता है कि भैया हम मजबूरियों के चलते गाय  घर में पाल नहीं सकते ..कोई बात नहीं लेकिन कुछ हिस्सा दान का निकाल करके गोशाला में तो दे सकते हैं ना ...यह कर सकते है तो भी गाय पल जायेगी |..और यह भी नहीं कर सकते हैं दैनिक जीवन शैली में काम आने वाली बहुत सी एसी चीजे हैं जिनका प्रयोग करके आप गोआधारित उत्पाद बनाने वालो को आर्थिक रूप से सशक्त कर सकतें है जिसके परिणाम स्वरुप गो सेवा हो सकती है ...करने वालों के पास किसी चीज कि कमी नहीं ..बस कमी है तो संकल्प की है |......खैर अब कहने और पोस्ट लिखने का उद्येश्य इतना ही है की गोमाता पर आज बहुत संकट है ....उसको बचाने के लिय हर दिन को गोपाष्टमी बनायें |.....और एक पुन: उन महान लोगो को जिनके द्वरा आज भी देश में बहुत से गोकल्याण के कार्य चल रहे हैं   

कुछ महत्व पूर्ण गोसेवा केन्द्रों के लिंक जहां गो आधारित उत्पाद मिलते हैं www.pathmeda.org यहाँ से संपर्क जरुर करें

Comments

  1. तरुण भाई
    सबसे पहले क्षमा चाहता हूँ कि कुछ व्यस्तता के चलते बहुत दिनों से आपके ब्लॉग पर न आ सका|
    आज आपकी यह पोस्ट देखि| सही कहा आपने कि काश हर दिन गौपाष्ट्मी हो| कल तक गायों को लाठी मार कर भगाने वाले आज गौभक्त बन कर गुड खिला रहे हैं| कल फिर यही भक्त(?) लाठियां मार भगाएंगे| यह सब दिखावा नहीं तो और क्या है?
    क्या ऐसा करने से गौमाता प्रसन्न होंगी? क्या ऐसा करने से भगवान् प्रसन्न होंगे और वरदान दे देंगे? पता नहीं लकीर के फकीरों को ये बात कब समझ आएगी कि गौ का सम्मान करना है तो हर रोज़ करो| यूं साल में एक दिन गाय की पूजा कर औपचारिकता निभाने से क्या होगा?

    वैसे हमारे प्राचीन भारत से ही गौपाष्ट्मी, नाग पंचमी आदि त्यौहारों के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है| हमारे ज्ञानी विद्वानों ने बड़ी दूर की सोची थी| इन त्यौहारों के चलते कण-कण व जीव-जीव में इश्वर के अस्तित्व को स्वीकार किया गया| इन त्यौहारों के अस्तित्व में आने का एक कारण जीव दया भी है ताकि लोग इन्हें न मारें|

    आपकी प्रस्तुति सराहनीय है|
    वन्दे गौ मातरम्
    वन्दे मातरम्

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